Wednesday, December 30, 2009

"ललकार है"सभी धर्म और मान्यता के ठेकेदार जो राजनैतिक गलियारों पर टुकड़े बटोरते फिरते है या गिने चुने दिनों पर संस्कृति के नाम पर युवा और युवतियों को लप्पड़ भन्नाटा जड़ दाईत्व की इतिश्री समझते है!




सभी धर्म और मान्यता के ठेकेदार जो राजनैतिक गलियारों पर टुकड़े बटोरते फिरते है या गिने चुने दिनों पर संस्कृति के नाम पर युवा और युवतियों को लप्पड़ भन्नाटा जड़ दाईत्व की इतिश्री समझते है उन्हें ललकार है !

मेरे एक सहयोगी ने youtube पर एक विडियो दिखाया जिसे देख वो विचलित हो उठा था ! मामला बड़ा संगीन है ,मान्यता से इतना बड़ा खिलवाड़,बात इतनी शर्मनाक है की मै उस वीडियो को embed नहीं कर रहा हूँ बस URL दे रहा हूँ जिन्हें देखना है वे इसे " पापी youtube " पर जा कर देख ले !!!
http://www.youtube.com/watch?v=dOfhC8jC73Y
http://www.youtube.com/watch?v=K8M4Onv92W8

राम के नाम पर वोट मांगने वाले और रोटी मांगने वाले... किसी की क्या नज़र नहीं पड़ी कभी ???

अब हमें ही कुछ कारगर करना होगा इसपर अतः मै निवेदन कर सहयोग की अपेछा करता हूँ आप साथियो से, क़ानूनविदों से और साइबरला के तज्ञों से कृपया सुझाव दे !

( अन्य मान्यता के लोग कृपया पृथक न हो ये आप के साथ भी हो रहा हो सकता है या हो सकता है अतः एकजुट हो , क्युकी ये आस्था और मान्यता को आहात करने वाला विषयवास्तु है )

साथियो निम्नलिखित पर मार्गदर्शन कर योगदान करे !

क्या गूगल,youtube को मजबूर किया जा सकता है इन आपत्तिजनक सामग्री पर लगाम कसने को ?
क्या इन वीडियो को किसी प्रकार से बंद किया जा सकता है ?
क्या दोषियों को चिन्हित कर उन्हें दण्डित किया जा सकता है ?
आखिर क्या कारगर रास्ता अपनाया जाए ताकि भविष्य में इस तरह का कुकृत्य कोई न कर सके ?



Saturday, December 12, 2009

जाकिर भाई सलीम के वकील है या जज ???


भाई जाकिर अली उर्फ़ "रजनीश" आप का लेख पढ़ा तो तमाम सवाल ज़ेहन में उभर आये उम्मीद करता हूँ आप इन सब का जवाब देने में सक्षम होंगे !

1 आप की भूमिका वकील की कह रहे है तो न्यायाधीश की तरह ब्लॉग जगत को फैसला किस हक़ से सुना रहे है ?
2 आप न मौके पर थे, न तो आप की मुझसे कोई बात हुई है और शायद ही महफूज़ भाई से ही, तो आप नतीजा सिर्फ सलीम भाई के कहे पर निकाल रहे है ? कैसे ???
3 महफूज़ भाई को जो लगा वो उन्होंने सारे ब्लॉग जगत के भाइयो से साझा किया, मैंने भी अपनी बात सबके सामने रक्खी बिना किसी परिणाम की चिंता किये हुए पर ऐसा क्यों है की सलीम के लिए वो स्वयं न लिख कर आप को लिखना पड़ रहा है ?
4 आखिर एक ही मुलाक़ात में आप सलीम भाई को बड़ी गहराई से जान गए ??? कैसे ? यहाँ तो जीवनसाथी को समझने में ही सारा जीवन गुज़र जाता है ?
5 मैंने पहले भी कहा है की महफूज़ भाई शुरू से कहते है की सलीम भाई को कोई तो है जो गुमराह करता है ! इस वाकये से शक की सुई क्या आप पर नहीं टिक रही? क्यों सारे ब्लॉग जगत में आप ही और सिर्फ आप ही उनके हमदम है ? ब्लॉग जगत से साझा क्यों नहीं किया जा रहा ???
6 कही आप इस मुद्दे की लोकप्रियता भंजाने की नीयत से तो नहीं लिख रहे है ?
7 आप ने सलीम भाई से क्यों नहीं कहा की इस बात को वे स्वयं अपने ब्लॉग के माध्यम से कहे ? क्यों आप ही आगे आये ?
8 आप ने अपने लेख पर पारदर्शिता दिखाते हुए मुलाक़ात पर मुद्दे की कोई बात क्यों साफ़ साफ़ दो टूक नहीं लिखा ? सतही बात कर ही फैसला ब्लॉग जगत पर थोप दिया ?
9 अगर सलीम भाई आप की घोषणा के अनुरूप नहीं अनुसरण करते है तो क्या आप इसकी गारंटी ले रहे है ? सारे ब्लॉग जगत के साथियो को ये बात ज़रूर बताये!!!
10 आप ने खुद माना है की उस समय महफूज़ भाई ने आप को वक़्त की नजाकत को देखते हुए आवाज़ दिया था फिर आप तब क्यों नहीं आये ?

सारे वाकये से महफूज़ भाई काफी आहात है उन्हें नाहक बहुत कुछ सुनना पड़ा है और इसकी नैतिक ज़िम्मेदारी मै लेता हूँ और महफूज़ भाई से माफ़ी मांगता हूँ !
अगर सलीम भाई का ह्रदयपरिवर्तन हुआ है तो वाकई उनका तहे दिल से स्वागत है !यदि ये हृदयपरिवर्तन आप के सुझाव से है तो आप को तहे दिल से शुभकामना, हम जो न कर सके वो आप ने कर दिखाया पर अफ़सोस आप ने थोड़ी जल्दी की होती!

सलीम भाई हमारे अज़ीज़ भाई है हम खुले दिल से उनके इस स्वक्ष विचार का स्वागत करते है मौका मिलेगा तो अब उनसे गले मिल कर भी आऊंगा !

Thursday, December 10, 2009

लखनऊ प्रकरण: मैंने सलीम खान को नहीं मारा!!!

कहते है "जब वख्त बुरा होता है तो ऊट पर बैठे को कुत्ता काट लेता है " मै तो गधे पर सवार था ! सोचता हूँ क्या ज़रुरत थी मुझे सलीम खान को महफूज़ भाई से कह कर बुलवाने की !
हुआ यू की सलीम भाई को मैंने मिलने का निवेदन किया तो वे १५ मिनट में आ गए!
हम दोनों ठहरे लखनऊवा तो एक दुसरे के बारे में ज्ञानवर्धन करने लगे ! मैंने सलीम भाई के सिक्षा दीक्षा के बारे में पूछा, तो वे लखनऊ के मेरे यार दोस्तों के बारे में !!!
दोनों की मंशा एक दुसरे के परिचित से परिचित तलाशने की थी जिसे कहते है कॉमनफ्रेंड ! इसी सिलसिले में मै अपने के के सी और लोहिया छात्र वाहिनी वाले दिनों के बारे में बता रहा था ,सलीम और मै एक दुसरे से मुखातिब थे जिससे महफूज़ भाई बोर हो रहे थे सो वो खुद को बहलाने के लिए दाहिने बाए हो लिए !

मै सलीम के ब्लॉग विचारों का घोर विरोधी रहा हूँ ,काफी पहले महफूज़ भाई से सलीम के बाबत जब बात हुई थी तो उन्हों ने कहा था " सौरभ भाई सलीम के विचारों से मै सदा असहमत रहा हूँ जिसके चलते मेरा उससे झगडा भी हो चुका है! उसे बरगलाया गया है ! अपने लालन पालन में सलीम बड़े ही सदभाव से रहा है यहाँ तक उसे काफी श्लोक भी कंठस्थ है, कई हिन्दू उसके प्रिय अभिन्न मित्र है बस वो भ्रमित है!
मुझे उम्मीद की किरण दिखाई दी और तभी सोचलिया था की जब भी अब कभी लखनऊ जाऊंगा अपने इस भाई( सलीम ) को विनम्रता से समझाने की कोशिश करूंगा ताकि सामजिक सौहार्द का सिपाही बन वो भी कदम से कदम मिला कर साथ चले !!

अच्छा!... अब चूकी मै सलीम भाई के विचारों से सहमत नहीं रहा तो स्वाभाविक था मेलमिलाप के बाद जो गर्मजोशी थी वो बहस में तब्दील हुई और बहस हुज्जत में !!!

अब महफूज़ भाई लौटे तो ध्यान बटा! कुछ लोग आस पास होआये थे जो रस ले रहे थे ! महफूज़ भाई बोले " यार धीरे बात करो लोग इधर देख रहे है! चलो कही और चले !"
अब हम सहारा भवन की और चल पड़े जहा मेरी और महफूज़ भाई की गाडी खड़ी थी,सलीम अपनी गाडी से बढे और मै और महफूज़ पैदल !

लखनऊ की ठण्ड शाम में स्वेटर और जैकेट पहने महफूज़ भाई के माथे पर पसीना साफ़ चमक उठा था ,सब सहज था पर महफूज़ भाई टेंशन में थे ,न जाने उन्हें क्या ग़लतफ़हमी हुई! बोले भाई आप लोग सब किये धरे पर पानी फेर देंगे मैने कहा भाई आप निश्चिंत रहे ऐसी कोई बात नहीं है भरोसा कीजिये ! अब मालूम हो रहा है महफूज़ भाई किन्ही पूर्वाग्रहों से ग्रसित हो चुके थे!


सहारा भवन पर सलीम भाई पहले पहुच चुके थे फह्फूज़ भाई ने ग्रीनटी आफर किया मै पहले ही काफी चाय गटक चुका था सो मै कहा "भाई आप लोग रुको मै ले कर आता हूँ आप लोगो के लिए" महफूज़ भाई बोले "क्यों शर्मिंदा करते हो निमंत्रण मैंने दिया है और वैसे भी तुम विश्वविद्यालय में मुझ से एक साल जूनियर हो" कहकर अपने और सलीम के लिए चाय लेकर आये!
इसबीच थोडा सा ही सही पर हां मुद्दों को लेकर हमारी गरमा गरम बहस हुई इसी बीच महफूज़ भाई ने मोबाइल से फोटो खीची बातो में उलझ मैंने ध्यान नहीं दिया !

पर भाइयो हमने पूरे प्रकरण में कोई हाथापाई नहीं की ना ही किसी अशोभनीय भाषा का इस्तेमाल किया !

सलीम भाई से मेरा वैचारिक मतभेद बना हुआ है और इसपर मै ब्लॉग पर ही उनसे निपटने के लिए सक्षम हूँ ! और हां हाथापाई की मानसिकता वाले तो सलीम भी नहीं लगे!
मेरा मोबाइल सेवा दाता ने विच्छेदित कर रखा था सो महफूज़ भाई से बाद में इस बारे में कोई बात नहीं हो सकी ,मै समय के बहुत बुरे दौर से गुज़र रहा हूँ सो इसपर ध्यान न दे सका ,कल ब्लोग्वानी पर हाहाकार देखा मजबूरन समय निकलना पड़ रहा है !

पर सार्थक होगा यदि आप महफूज़ भाई के द्वारा अपने उस पोस्ट पर किये सवाल का जवाब दे की....
क्या ब्लागरों को भड़काऊ चीज़ें लिखनी चाहिए? क्या धर्म ऐसी चीज़ है जिसके लिए सड़कों पे झगडा जाये? क्या किसी धर्म के खिलाफ लिखने से या किसी धर्म के बारे में लिखने से सहिष्णुता बढ़ेगी या फिर विद्वेष फैलेगा?

Wednesday, November 25, 2009

सुनो तुम्हारे नाम पैगाम है !!!


बहते अश्को की ज़ुबान नही होती,
लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,
मिले जो प्यार तो कदर करना,
किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नही होती.
अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना ,
हर चोट के निशान को सजा कर रखना ।
उड़ना हवा में खुल कर लेकिन ,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना ।
छाव में माना सुकून मिलता है बहुत ,
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना ।
उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं ,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना ।
वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना ,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना ।
रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी ,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना ।
तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम ,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना ।
हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना ।
मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना .

Monday, November 23, 2009

आज ठुमरी वाले भाई विमल वर्मा का जन्मदिन है !


आज ठुमरी वाले भाई विमल वर्मा का ४७ वां जन्मदिन है ! विमल भाई के सुन्दर विचार और संग्रह का लाभ हमें ठुमरी ब्लॉग के माध्यम से विगत तीन वर्षो से प्राप्त हो रहा है, इस पावन उपलक्ष में हम ईश्वर से विमल भाई के दीर्घआयु एवं सफल जीवन की कामना करते है तथा आशा करते है की ठुमरी के माध्यम से विमल भाई अपने सुन्दर सुन्दर विचार और संकलन हमतक अनवरत प्रेक्षित करते रहे !

साथ ही विश्वस्त सूत्रों से पता चला है की विमल भाई ने आज एक नई कार खरीदी है !

विमल भाई को दो दो बधाई :-)

Saturday, November 7, 2009

भाई सुरेश चिपलूनकर मै भी टिप्पणी सम्बन्धी खुराफ़ात को अपने नाम से होता महसूस कर रहा हूँ !

भाई सुरेश चिपलूनकर आप का पोस्ट "टिप्पणी सम्बन्धी खुराफ़ात – एक गम्भीर मसला, कृपया सभी ब्लॉगर ध्यान दें…"
पढा था इसके बाद मै भी इस टिप्पणी सम्बन्धी खुराफ़ात को अपने नाम से होता महसूस कर रहा हूँ !

कल सलीम खान के उस पोस्ट पर जहा शीर्षक में उसने घोषणा की है "मुस्लिम धोखेबाज़ होते हैं--वंदे मातरम !!!"
पर अपने नाम ( उम्दा सोच ) से टिप्पणी देखी जो मैंने नहीं की थी, नाम पर माउस द्बारा खोले जाने पर ये भी Blogger Profile पर ना जा कर मेरे ब्लॉग का पता बता रहा है !

http://swachchhsandesh.blogspot.com/2009/11/blog-post_06.html?showComment=1257517102169#comment-c1883610374200476733

इस टिपण्णी में सलीम खान की भरपूर खुशामद कर उसके मनमाफिक लिखा पाया,जिससे लग रहा है की करतूत उसके खुद की या उसके किसी गुर्गे की ही ज़रूर है !
वैसे भी जबसे मेरी नज़र सलीम और कैरान्वी के नापाक मंसूबो पर पड़ी है मैंने उनका जीना हराम कर रक्खा है! सिर्फ सलीम के ब्लॉग स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़ (नाम का सिर्फ!!! असल में उसका नाम होना चाहिए "इस्लाम के नाम पर सलीम के नापाक मनसूबे" ) सिर्फ इस ब्लॉग पर ही ३६ सवाल टिप्पणि के ज़रिये मैंने किये जिनमे से एक का भी जवाब वो दे न सका,कैरान्वी के "हमारे अंजुमन" पर मेरी टिप्पणि ने मानो दुम पर पैर रख दिया हो ऐसा हड़कंप मचाया की वो साइबर मौलवी और सलीम समेत तमाम को ललकारने लगा मेरा जवाब देने को!!!

फलस्वरूप मुझे जवाब देने का व्यर्थ प्रयास किया गया (आप स्वयं देखे )! http://hamarianjuman.blogspot.com/2009/11/vande-matram-islamic-answer.html

खुद को अपनी ही शुरू की हुई पेचीदगी में फसा पा अब वो ही इस पीठ में चुरा घोपने के अपने असल फितरत पर उतरा महसूस होते है !

मै गैरहिन्दू धर्मो का न तो विरोधी हूँ ना ही शुएब भाई , महफूज भाई जैसे प्रगतिशील लोगों की आस्था को नीचा दिखाना मेरी मंशा रही है ! पर बोक्सिंग रिंग पर ललकारने पर सलीम और कैरान्वी जैसो को जवाब भी उसी शैली में दिया जायेगा !

मै आप सा कोई बड़ा ब्लॉगर बिलकुल नहीं हूँ जो और किसी मकसद से कोई ऐसा करता मालूम पड़े, क्युकी आप भुक्तभोगी है अतः आप से निवेदन है की इस प्रकार के छदम योद्धा से किस तरह निपटा जाए मार्गदर्शन कीजिये !

Thursday, October 8, 2009

मर्द बेचारा भाग-१

तुम जाओ यार मेरी बीवी नही आनें दे रही है!


ग्रहस्थों की वर्तमान अवस्था को देखकर एक विचार मन मे आता है , की यदि कोलंबस शादीशुदा होता तो शायद कभी भी अमरीका की खोज नही कर पाता !
सम्भवतः उसे पहले निम्नलिखित का सामना करना पड्ता!


कहाँ जा रहे हों ?
किसके साथ ?
क्यों ?
कैसे जा रहे हो ?
क्या खोजने ?
क्यों सिर्फ़ तुम ही जा रहे हो ?
मै यहाँ अकेले क्या करुँगी ?
क्या मै भी तुमहारे साथ चलूँ ?
कब वापस लौटोगे ?
डिनर घर पर ही करोगे ना ?
मेरे लिये क्या लाओगे ?
लगता है तुम सब सोची समझी चाल के तहत कर रहे हो... ?
झूठ मत बोलो...
तुम ऐसे कार्यक्रम क्यो बनाते हो ?
लगता है आगे के लिये भी तुमने ऐसे ही कार्यक्रम सोच रखे है...
जवाब दो... क्यों ?
मै मायके जाना चाहती हूँ !
मै चाहती हूँ तुम पहले तुम मुझे वहाँ छोड के आओ...
मैं कभी लौटना नहीँ चाहती...
मैं नही लौटुंगी...
तुम मुझे रोक क्यों नही रहे हो ?
मैं नही समझ पा रही हूँ के ये खोज वोज का चक्कर क्या है?
तुम तो हमेशा ऐसा ही करते हो !
पिछली बार भी तुमनें ऐसा ही किया था...
आज कल तुम यही सब करते रहते रहते हो कोई काम का काम क्यॊं नही करते...
मैं अबतक ये नहीं समझ पा रही हूँ कि तुम्हारे लिये खोजने को अब बचा क्या है...?



Saturday, September 26, 2009

श्री दुर्गा चालीसा



नमो नमो दुर्गे सुख करनी । नमो नमो अम्बे दुःख हरनी ।।

निराकार है ज्योति तुम्हारी । तिहूं लोक फैली उजियारी ।।

शशि ललाट मुख महा विशाला । नेत्र लाल भृकुटी विकराला ।।

रुप मातु को अधिक सुहावे । दरश करत जन अति सुख पावे ।।

तुम संसार शक्ति लय कीना । पालन हेतु अन्न धन दीना ।।

अन्नपूर्णा हुई जग पाला । तुम ही आदि सुन्दरी बाला ।।

प्रलयकाल सब नाशन हारी । तुम गौरी शिव शंकर प्यारी ।।

शिव योगी तुम्हरे गुण गावें । ब्रहृ विष्णु तुम्हें नित ध्यावें ।।

रुप सरस्वती को तुम धारा । दे सुबुद्घि ऋषि मुनिन उबारा ।।

धरा रुप नरसिंह को अम्बा । प्रगट भई फाड़कर खम्बा ।।

रक्षा कर प्रहलाद बचायो । हिरणाकुश को स्वर्ग पठायो ।।

लक्ष्मी रुप धरो जग माही । श्री नारायण अंग समाही ।।

क्षीरसिन्धु में करत विलासा । दयासिन्धु दीजै मन आसा ।।

हिंगलाज में तुम्हीं भवानी । महिमा अमित न जात बखानी ।।

मातंगी धूमावति माता । भुवनेश्वरि बगला सुखदाता ।।

श्री भैरव तारा जग तारिणि । छिन्न भाल भव दुःख निवारिणी ।।

केहरि वाहन सोह भवानी । लांगुर वीर चलत अगवानी ।।

कर में खप्पर खड्ग विराजे । जाको देख काल डर भाजे ।।

सोहे अस्त्र और तिरशूला । जाते उठत शत्रु हिय शूला ।।

नगर कोटि में तुम्ही विराजत । तिहूं लोक में डंका बाजत ।।

शुम्भ निशुम्भ दानव तुम मारे । रक्तबीज शंखन संहारे ।।

महिषासुर नृप अति अभिमानी । जेहि अघ भार मही अकुलानी ।।

रुप कराल कालिका धारा । सेन सहित तुम तिहि संहारा ।।

परी गाढ़ सन्तन पर जब जब । भई सहाय मातु तुम तब तब ।।

अमरपुरी अरु बासव लोका । तब महिमा सब रहें अशोका ।।

ज्वाला में है ज्योति तुम्हारी । तुम्हें सदा पूजें नर नारी ।।

प्रेम भक्ति से जो यश गावै । दुःख दारिद्र निकट नहिं आवे ।।

ध्यावे तुम्हें जो नर मन लाई । जन्म-मरण ताको छुटि जाई ।।

जोगी सुर मुनि कहत पुकारी । योग न हो बिन शक्ति तुम्हारी ।।

शंकर आचारज तप कीनो । काम अरु क्रोध जीति सब लीनो ।।

निशिदिन ध्यान धरो शंकर को । काहू काल नहिं सुमिरो तुमको ।।

शक्ति रुप को मरम न पायो । शक्ति गई तब मन पछतायो ।।

शरणागत हुई कीर्ति बखानी । जय जय जय जगदम्ब भवानी ।।

भई प्रसन्न आदि जगदम्बा । दई शक्ति नहिं कीन विलम्बा ।।

मोको मातु कष्ट अति घेरो । तुम बिन कौन हरै दुःख मेरो ।।

आशा तृष्णा निपट सतवे । मोह मदादिक सब विनशावै ।।

शत्रु नाश कीजै महारानी । सुमिरों इकचित तुम्हें भवानी ।।

करौ कृपा हे मातु दयाला । ऋद्घि सिद्घि दे करहु निहाला ।।

जब लगि जियौं दया फल पाऊँ । तुम्हरो यश मैं सदा सुनाऊँ ।।

दुर्गा चालीसा जो नित गावै । सब सुख भोग परम पद पावै ।।

देवीदास शरण निज जानी । करहु कृपा जगदम्ब भवानी ।।

Wednesday, September 23, 2009

राष्ट्रकवि को जन्मदिन पर श्रद्दांजली


आज रामधारी सिंह "दिनकर" जी का जनमदिन है!
वीर रस के कवि श्री दिनकर जी को जन्मदिन के १०१वें वर्षगाँठ पर श्रद्दाँजली !
स्वतंत्रता संग्राम मे उनकी रचनाओं की अहम भूमिका के चलते हम उन्हें राष्ट्रकवि के रूप में जानते है!
इस उपलक्ष पर उनकी एक रचना प्रस्तुत है!





Friday, September 4, 2009

विरहिन की व्यथा


मेह की बूँद झरी बदरी,
पसरी पसरी सब देह पिरानी
भीजत खीझत छोड चले सखि
रीझत रीझत बात न मानी
सुनि अटारि कटारि लगे
सुन कोयल कीर मयूर की बानी
गाज गिरे ऐसे मौसम पे सखि
जहँ भीतर आग और बाहर पानी ......

Sunday, August 30, 2009

डेमोक्रेसी Vs मोदी का गुजरात


अपने सम्विधान पर बचपन से हम २६ जनवरी को खूब गर्वित इतराते है, उसपे पालन कर जीने मरने की कसमे खाते है! कमाल है सरकारे ही अब सम्विधान की पर्वाह नही करती.....
कारण?.....

खैर..... एक ताजा वाक्या उदाहरण के तौर पर ले,

अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...

गुजरात मे मोदी साहब ने जसवंत सिंह की पुस्तक को प्रतिबन्धित कर दिया है!आज जब जस्वंत जी अपनी बात कहते है तो अपने ही उनका मुंह बन्द करने पे आमादा है!
यानी......
कहाँ है भई सम्विधान मे उल्लेखित Article 19 अभिव्यक्ति की स्वतत्रंता?
है तो कहाँ ....? और है तो किसके लिये.....?

जसवन्त जी की पुस्तक मैने अभी तक पढी नही है बगैर इसके मै कुछ बाते ठीक ठीक जानता हूँ!

जसवंत जी जो भी कह रहे है ये उनके अपने विचार है ...क्या जसवंत जी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नही है? और गुजरात की पढी लिखी जनता को इस प्रकार पुस्तक से वंचित करना क्या गुजराती बुद्दिजीवी वर्ग के अधिकारों का हनन नही है?

भाई पढने दीजिये सही गलत की विवेचना तो वे पढ्ने के बाद ही करेंगे!

क्या इस तरह मोदी जी जसवंत जी का मुह बन्द करने के साथ गुजरातियों के कान भी बन्द नही कर रहे है?

मोदी जी जिस राम राज को लाने की बात करते है उसमे अब मुहँ बन्द किया जायेगा...? ऐसी कौन सी डेमोक्रेसी भाई? और कहाँ पाई जाती है...?

अब तक खुद के लिये मोदी जी कहते थे मै तो बोलुंगा जिसे नही सुनना वो अपना कान बन्द कर ले...
तो जस्वनंत जी का मुहँ क्योँ बन्द करवा रहे है?
आज जब गुजरात मे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रष्नवाचक चिन्ह लग गया है,तो कल वहाँ लोकतंत्र पर भी सीधा प्रष्नवाचक चिन्ह लग सकता है!

क्या आप को नही लगता इस तरह मोदी जी सम्विधान मे उल्लेखित Article 19 अभिव्यक्ति की स्वतत्रंता का हनन कर रहे है?


Saturday, August 22, 2009

मुर्दा जिन्ना का ज़िन्दा जिन्न


विभाजन और उसके तहत मौते "गदर" जिम्मेदार हिन्दु और मुसलमान खुद रहे हैं!

रही बात जिन्ना की जो उन्हों ने जो किया सही-गलत ये कथित सेकुलर ढोंग से बाहर आ कर वास्तविक परिपेक्ष को देखते हुए बात करने का विषय है!

जिन्ना की औकात कभी निर्णायक की नही थी प्रथम दोष उनका है ("चाहे जिस कारण हो") जिन्होंने सहमती दी और निर्णय घोषित किया!

खैर वो रही बीती बात...अब जिसे भाये वो लकीर पीटे!

मै निवेदन कर पूछता हूँ आप सब गणमान्य जनों से कि आज वो कौन सा राजनेता है जिसका जिन्न जिन्ना से बडा नही है?

जिन्ना ने हिन्दु और मुसलमान में बाँटा "ठीक है" तो अब वो कौन है जो SC ST OBC Backward कोटे में हिन्दु मुसलमान दोनो को छिन्न भिन्न कर रहे है? कह दीजिये उनका जिन्न जिन्ना से छोटा है!!!

Friday, August 21, 2009

आज भी हर चौथा भारतीय भूखा सोता है


जब भारत विश्व शक्ति बनकर उभरने का दावा कर रहा है,ऐसे समय देश में हर चौथा व्यक्ति भूखा है. भारत में भूख और अनाज की उपलब्धता पर भारत के एक ग़ैर-सरकारी संगठन की ताज़ा रिपोर्ट में ऐसा दावा किया गया है.

यह आंकड़े नवदान्य ट्रस्ट द्वारा जारी की गई एक रिपोर्ट का हिस्सा हैं जिसमें कहा गया है कि 'बढ़ती महंगाई और सरकारों द्वारा सार्वजनिक वितरण प्रणाली में हाल के दिनों में फैलाई गई अव्यवस्था ने स्थिति को और भी बदतर कर दिया है.'

ग़ैर-सरकारी संगठन की रिपोर्ट के अनुसार देश में तकरीबन 21 करोड़ से अधिक जनसँख्या को भर पेट भोजन नहीं मिल पाता है. संख्या के अनुपात में यह अफ़्रीका के सबसे गरीब देशों से भी ज़्यादा है.

'भूख के कारण' नाम की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि क्षेत्र में खाद्य सामग्री के वितरण में निजी कंपनियों के बढ़ते दख़ल ने खाने पीने की चीजों की कीमतें बढ़ा दी हैं.

उदारीकरण के बाद से सरकार ने 'सही ज़रूरतमंदों को ही छूट' के नाम पर सिर्फ़ बहुत गरीब वर्गों को ही सार्वजानिक वितरण प्रणाली के तहत सस्ते अनाज देने की सुविधा जारी रखी है.

पहले सस्ते दामों पर खाने पीने के सामान की सुविधा सभी नागरिकों को थी. अब यह सुविधा जनसँख्या के सिर्फ़ एक छोटे वर्ग को हो मिल रही है. एक अनुमान के मुताबिक गरीबों में भी ये सुविधा केवल 10 प्रतिशत लोगों को ही उपलब्ध है.

ट्रस्ट की प्रमुख वंदना शिवा के अनुसार "भले ही सत्ताधारी वर्ग और देश का एक वर्ग जीडीपी यानी सकल घरेलु उत्पाद को बढ़ाने को ही सबसे अहम काम समझ रहा है पर सच तो यह है कि एक आम आदमी को प्रति वर्ष मिलने वाली खाद्य सामग्री पिछले 10 बरसों के भीतर 34 किलो कम हो गई है."


उनके अनुसार वर्ष 1999 के आसपास भारत में खाद्य सामग्री की प्रति व्यक्ति सालाना खपत 186 किलोग्राम थी जो साल 2001 तक 152 किलोग्राम जा पहुँची.

भारत में आर्थिक उदारीकरण का काम 90 के दशक में शुरु हुआ था. तब केंद्र में कांग्रेस पार्टी की नरसिंह राव सरकार थी. पिछले पांच बरसों में रिपोर्ट के अनुसार गरीबों को मिलने वाली खाद्य सामग्री में भारी कमी आई है.

'भूख के कारण'

ट्रस्ट के अनुसार खाद्य पदार्थों की बढ़ी कीमतों की सच्चाई को छिपाने के लिए सरकार ने खाद्य पदार्थों को स्टील और धातुओं की कीमतों के आकलन वाले वर्ग में डाल दिया है, जिनकी कीमतें पिछले दिनों तेज़ी से गिरी हैं. इस तरह खाने पीने की वस्तुओं की थोक कीमतें में गिरावट तो देखी गई है लेकिन असल में खाद्य पदार्थों की कीमतें बढ़ी हैं.

सालाना महंगाई जिस फ़ार्मूले से आंकी जाती हैं उसमें ज़रुरत के सामानों के अलग अलग वर्ग तैयार किए गए हैं जिसमें हाल की कीमतों की तुलना के आधार पर एक महँगाई दर आँकी जाती है.

इससे खाने पीने की वस्तुओं पर सरकार द्वारा दी जाने वाली छूट यानी सब्सिडी में भी इज़ाफ़ा हुआ है. आर्थिक उदारीकरण के पहले दी जाने वाली सब्सिडी 2450 करोड़ रुपए थी जो पिछले वित्तीय वर्ष में बढ़कर 32667 करोड़ रुपए हो गई है. कृषि मंत्री शरद पवार ने कहा है कि अगले साल खाद्य सामग्री पर दी जाने वाली कुल छूट 50,000 करोड़ रूपए हो जाएगी.

वंदना शिवा कहती हैं, "हम अपने लोगों को भूखा रखने के लिए ज़्यादा पैसा ख़र्च कर रहे हैं."

रिपोर्ट में कहा गया है कि भारत को हर एक नागरिक के लिए सार्वजानिक वितरण प्रणाली की व्यवस्था करनी होगी जिसका नियंत्रण स्थानीय स्तर पर किया जाए. साथ ही एक ऐसी कृषि व्यवस्था को दोबारा बढ़ावा देना होगा जहाँ केवल 'कैश क्रौप पर ज़ोर न होकर पहले की तरह हर तरह के अनाज उपजाने को बढ़ावा दिया.

रिपोर्ट का दावा है कि हाल के बरसों में अनाज उगाने वाली 80 लाख हेक्टेअर भूमि पर एक्सपोर्ट की जाने वाले सामग्री उगानी शुरू कर दी गई है जबकि एक करोड़ हेक्टेअर से ज़्यादा ऐसी ज़मीन पर जैविक ईधन पैदा करने वाले पेड़ लगा दिए गए हैं.

रिपोर्ट के अनुसार विशेष आर्थिक क्षेत्रों के लिए ली जाने वाली ज़मीनों से कृषि क्षेत्र पर दबाव और बढ़ेगा.

राजनेता


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