Wednesday, November 25, 2009

सुनो तुम्हारे नाम पैगाम है !!!


बहते अश्को की ज़ुबान नही होती,
लफ़्ज़ों मे मोहब्बत बयां नही होती,
मिले जो प्यार तो कदर करना,
किस्मत हर कीसी पर मेहरबां नही होती.
अपने दिल को पत्थर का बना कर रखना ,
हर चोट के निशान को सजा कर रखना ।
उड़ना हवा में खुल कर लेकिन ,
अपने कदमों को ज़मी से मिला कर रखना ।
छाव में माना सुकून मिलता है बहुत ,
फिर भी धूप में खुद को जला कर रखना ।
उम्रभर साथ तो रिश्ते नहीं रहते हैं ,
यादों में हर किसी को जिन्दा रखना ।
वक्त के साथ चलते-चलते , खो ना जाना ,
खुद को दुनिया से छिपा कर रखना ।
रातभर जाग कर रोना चाहो जो कभी ,
अपने चेहरे को दोस्तों से छिपा कर रखना ।
तुफानो को कब तक रोक सकोगे तुम ,
कश्ती और मांझी का याद पता रखना ।
हर कहीं जिन्दगी एक सी ही होती हैं ,
अपने ज़ख्मों को अपनो को बता कर रखना ।
मन्दिरो में ही मिलते हो भगवान जरुरी नहीं ,
हर किसी से रिश्ता बना कर रखना .

Monday, November 23, 2009

आज ठुमरी वाले भाई विमल वर्मा का जन्मदिन है !


आज ठुमरी वाले भाई विमल वर्मा का ४७ वां जन्मदिन है ! विमल भाई के सुन्दर विचार और संग्रह का लाभ हमें ठुमरी ब्लॉग के माध्यम से विगत तीन वर्षो से प्राप्त हो रहा है, इस पावन उपलक्ष में हम ईश्वर से विमल भाई के दीर्घआयु एवं सफल जीवन की कामना करते है तथा आशा करते है की ठुमरी के माध्यम से विमल भाई अपने सुन्दर सुन्दर विचार और संकलन हमतक अनवरत प्रेक्षित करते रहे !

साथ ही विश्वस्त सूत्रों से पता चला है की विमल भाई ने आज एक नई कार खरीदी है !

विमल भाई को दो दो बधाई :-)

Saturday, November 7, 2009

भाई सुरेश चिपलूनकर मै भी टिप्पणी सम्बन्धी खुराफ़ात को अपने नाम से होता महसूस कर रहा हूँ !

भाई सुरेश चिपलूनकर आप का पोस्ट "टिप्पणी सम्बन्धी खुराफ़ात – एक गम्भीर मसला, कृपया सभी ब्लॉगर ध्यान दें…"
पढा था इसके बाद मै भी इस टिप्पणी सम्बन्धी खुराफ़ात को अपने नाम से होता महसूस कर रहा हूँ !

कल सलीम खान के उस पोस्ट पर जहा शीर्षक में उसने घोषणा की है "मुस्लिम धोखेबाज़ होते हैं--वंदे मातरम !!!"
पर अपने नाम ( उम्दा सोच ) से टिप्पणी देखी जो मैंने नहीं की थी, नाम पर माउस द्बारा खोले जाने पर ये भी Blogger Profile पर ना जा कर मेरे ब्लॉग का पता बता रहा है !

http://swachchhsandesh.blogspot.com/2009/11/blog-post_06.html?showComment=1257517102169#comment-c1883610374200476733

इस टिपण्णी में सलीम खान की भरपूर खुशामद कर उसके मनमाफिक लिखा पाया,जिससे लग रहा है की करतूत उसके खुद की या उसके किसी गुर्गे की ही ज़रूर है !
वैसे भी जबसे मेरी नज़र सलीम और कैरान्वी के नापाक मंसूबो पर पड़ी है मैंने उनका जीना हराम कर रक्खा है! सिर्फ सलीम के ब्लॉग स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़ (नाम का सिर्फ!!! असल में उसका नाम होना चाहिए "इस्लाम के नाम पर सलीम के नापाक मनसूबे" ) सिर्फ इस ब्लॉग पर ही ३६ सवाल टिप्पणि के ज़रिये मैंने किये जिनमे से एक का भी जवाब वो दे न सका,कैरान्वी के "हमारे अंजुमन" पर मेरी टिप्पणि ने मानो दुम पर पैर रख दिया हो ऐसा हड़कंप मचाया की वो साइबर मौलवी और सलीम समेत तमाम को ललकारने लगा मेरा जवाब देने को!!!

फलस्वरूप मुझे जवाब देने का व्यर्थ प्रयास किया गया (आप स्वयं देखे )! http://hamarianjuman.blogspot.com/2009/11/vande-matram-islamic-answer.html

खुद को अपनी ही शुरू की हुई पेचीदगी में फसा पा अब वो ही इस पीठ में चुरा घोपने के अपने असल फितरत पर उतरा महसूस होते है !

मै गैरहिन्दू धर्मो का न तो विरोधी हूँ ना ही शुएब भाई , महफूज भाई जैसे प्रगतिशील लोगों की आस्था को नीचा दिखाना मेरी मंशा रही है ! पर बोक्सिंग रिंग पर ललकारने पर सलीम और कैरान्वी जैसो को जवाब भी उसी शैली में दिया जायेगा !

मै आप सा कोई बड़ा ब्लॉगर बिलकुल नहीं हूँ जो और किसी मकसद से कोई ऐसा करता मालूम पड़े, क्युकी आप भुक्तभोगी है अतः आप से निवेदन है की इस प्रकार के छदम योद्धा से किस तरह निपटा जाए मार्गदर्शन कीजिये !