Friday, December 3, 2010

हिन्दू मर रहा था , पर किसी ने नहीं बचाया !!!



हे
लीकाप्टर में चार सवार थे हिन्दू , मुसलमान , सिक्ख , इसाई !
विमान दुर्घटनाग्रस्त होने वाला था सो चारो कूद गए ! हिन्दू को छोड़कर सारे बच गए ! हिन्दू की आत्मा को यमराज लेकर जाने लगे तो उसने यमराज से पूछा की "मै ही सिर्फ क्यों मरा बाकी कैसे बच गए?"

यमराज ने कहा की विपदा में आप सभी अपने ईस्ट देवता का नाम ले रहे थे ,मुसलमान अल्लाह को ,इसाई जीजस को और सिख वाहे गुरु को... पर आप कभी दुर्गा जी को कभी हनुमान जी को कभी शिव जी को कभी ब्रम्हा जी को याद कर रहे थे अतः देवता दुविधा में रह गए की आपको कौन बचाने जाए फलस्वरूप आप गति को प्राप्त को गए!

तो भैया यु ही श्रीमद भागवत में श्री कृष्ण ने नहीं कहा है की "संघे शक्ति कल्युगे" !!!

Wednesday, March 3, 2010

फक्र है मुझे इस पाकिस्तानी पर !!! :- उम्दा सोच


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जी हां आप ने सही सुना ,एक सच्चा भारतीय होने के बावजूद फक्र है मुझे इस पाकिस्तानी पर जिसमे इंसानियत का साथ देने का जस्बा है , ये लाख दर्जे भला है किसी और से जो जेहाद के नाम पर हो रहे आतंकवाद पर तो मौन धारण कर लेते है फिर कहते है की "आई एम् नॉट अ टेररिस्ट !!!"
ये पाकिस्तानी है इस्लामिक विद्वान श्री ताहिर उल कादरी जिन्होंने एक छह सौ पन्नो का फतवा घोषित किया है आतंकवाद और फिदाइन को दोषपूर्ण करार देते हुए !

ये फतवा बिंदुशः खण्डन है अल काइदा की आध्यात्मविद्या का ! फतवे में श्री ताहिर उल कादरी द्वारा फरमान है की जेहाद के नाम पर आतंकवाद का साथ देने वाले शहीद नहीं कहे जायेंगे और न ही अल्लाह उनके साथ है ! वे जहन्नुम की आग के हक़दार होंगे ,और उन्हें यही नसीब होगा !

श्री ताहिर उल कादरी ने एक वक्तव्य में निर्दोष लोगो को मारने वाले अल काएदा को "an old evil with a new name" की संज्ञा दी है !

इस जिगर वाले जज्बे को सलाम जो कम से कम आवाज़ उठाने से तो न डरा और अल काएदा को मुखातिब हुआ, वरना अपन तो सब फट्टू लफ्फाजी भर भर करेंगे पर आतंकवाद के खिलाफ आने की बारी हो तो माँ की गोद में छुप जायेंगे !

इंसानियत के सच्चे सिपाही श्री ताहिर उल कादरी को मेरा सलाम !

बहरहाल पाकिस्तान में तो एक वसुंधरा का सपूत पैदा हुआ, परीक्षा है अब अपनी शस्य श्यामला धरा की देखना है यहाँ कभी कोई इंसानियत का सिपाही खडा होता है की नहीं या किसी ने माँ का दूध नहीं पिया है !!!


समर शेष है ,नहीं पाप का भागी केवल व्याध
जो तटस्थ है, समय लिखेगा उनके भी अपराध !!!



जय हिंद !!!

Thursday, February 18, 2010

वो कहते है की हम "दंगाई" है!!! - उम्दा सोच



http://umdasoch.blogspot.com/2010/02/blog-post.html

बवाल said...

ए भैया फिर ब्लॉग पर हिन्दू-मुस्लिम दंगा न करवाना यार। बड़ी मुश्किल से बंद हुआ है।

Wednesday, February 17, 2010 9:47:00 PM GMT+05:30

इ देखो! बवाल भाई तो हमको दंगाई बना गए !!!
अरे बवाल भाई ये आप को नया एंगिल कहा से मिला ??? बात तो किशोर अजवानी से हो रही है, और कौन कहता है की हम सेकुलर नहीं है, बस सच को सच कहने से डरते नहीं है !!!

हम कब बोले इस देश पर मुसलमानों का हक़ नहीं है ?
हम कब बोले की मुसलमान ने देश के लिए बलिदान नहीं दिया ?
हम कब बोले सारे मुसलमान आतंकवादी है ?
हम कब बोले सारे मुसलमान देश के दुश्मन है ?
हम कब बोले की भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित करो और मुसलमानों को बाहर भगा दो ?

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* हमने कहा कश्मीर पर कश्मीरी पंडितो का भी हक़ है उसे दिलाने के लिए आगे आओ ! !
* हमने कहा जो मुसलमान आतंकवाद का साथ दे रहे है कौम उन्हें चिन्हित करे !
* हम कहते है मज़हब के नाम पर कतल करने वाले कातिलो को पकड़वाओ ,उनका साथ मत दो !
* हम कहते है दुश्मन के देश से अमन की आशा मत करो, ये उसकी फितरत नहीं है !
* हमने कहा उलेमाओं से जेहाद के नाम पर दहशत फैलाने वाले दहशतगर्दो पर फतवा जारी करे,की ऐसा करने वालो को क़यामत के दिन दोज़ख की आग नसीब होगी !
* हमने कहा बता दो कौम के नाम पर नफरत फैलाने वालो को की इस्लाम उनकी बपौती नहीं है, उनका जेहाद "जेहाद" नहीं है, और अमन चाहने वाली इस्लामी कौम कतई उनके साथ नहीं है !

तो भैया ज़रा ये बता दो की हमने ऐसा क्या , कहाँ और कब कहा जिससे हम दंगा करवा दंगाई बने ???
अब फिरभी इसपर कोई दंगा करने आये तो "करे" !!!!

Wednesday, February 17, 2010

किशोर अजवानी को "खामख्वाह" लिखी बात का जवाब दूं ???:- उम्दा सोच

प्रिय ब्लॉगर साथियो यदि आप मुद्दे को समझना चाहते है तो आप से निवेदन है कृपया निम्न लिंक पर हो कर आये पर वैसे भी मेरा जवाब पढ़ कर आप को खुद बा खुद माजरा समझ में आ जाएगा !

http://kishoreajwani.blogspot.com/2010/02/blog-post_11.html

किशोर जी आप का प्राथमिक नाम हिन्दू मालूम पड़ता है और इस लिए अनुमान करता हूँ की अजवानी भी हिन्दू होंगे ( सिंध के खोजा मुस्लिम भी ऐसा उपनाम लगाते है ) ! ये बात मै किसी और कारण से नहीं वरन इस लिए कह रहा हूँ की यदि आप हिन्दू है तो आप को रामायण काल की नजीर दू तो शायद आप समझेंगे !

रामायण काल में जिन्हें असुर कहा जाता था, वे भी हमारे पुरखो "होमोसेपियं" की ही औलाद थे ,पर उनके सामाजिक व्यवहार में जो दुराचरण था और उनकी मान्यता जो की संहारक और अमानवीय थी जिसके चलते उन्हें असुर कहा जाता था !
असुर कहना याने एक पूरे के पूरे समाज के प्रति धारणा बनाती है अमानवीय और संहारिक प्रवृति की !
ऐसा नहीं था उस समाज के कुछ लोग सदाचारी नहीं थे असुरो में भी बड़े प्रकांड देवभक्त और धर्मी थे पर उस समाज ने दुनिया के सामने अपनी जो छवि बनाई थी उसकी छवि एक भयानक रूप दिखाती है, दोष उस पूरे के पूरे समाज का था क्युकी उसने कर्मो द्वारा अपना ऐसा रूप दुनिया के सामने रक्खा था !
आज इस्लाम के मानने वालो ने भी विश्व में असुरो का अनुकरण कर लिया है ,वे उत्पात की इतनी पराकाष्ठा तक पहुच चुके है की असुर्तुल्या हो चुके है अब उनमे चंद सदाचारियो का आगे आ कर कहना की नहीं हम तो शान्ति अमन के वास्तेदार है और हम दुनिया के तिरस्कार का शिकार हो रहे है!!!

वो अगर कहते है आतंकवाद वाले हमारे भाई नहीं तो ये बताओ उन्हें पनाह क्यों दे रखा है ???

क्यों जेहाद का नाम ले कर दहशत फैलाने वालो के खिलाफ पूरा का पूरा कौम खुल कर सामने नहीं आ रहा ????

क्यों जामिया के पास में जब आतंकियों से मुठभेड़ होती है तो पुलिस बल पर पत्थर फेके जाते है ??

कश्मीरियों ने अगर आतंकियों को पनाह नहीं दी होती और भारत का साथ दिया होता तो क्या आतंकवाद सर उठा सकता ???

आजादी के साठ साल बाद वो कौन नए मुसलमान आ गए और किस नए कुरआन को पढ़ कर आ गए जो उन्हें वंदेमातरम पर ऐतराज़ हो गया साठ साल तक जो गाये थे वो अब मुसलमान नहीं है क्या ???

यदि मुस्लिम कौम सच्चा सेकुलर है तो क्यों आर्टिकिल ३७० के खिलाफ आवाज़ उठा पुनः पंडित भाइयो को कश्मीर में जगह वापस नहीं देती ???

हम कब कहते है की सारे मुसलमान आतंकी है??? हम तो ये याद दिला रहे है की सारे आतंकी मुसलमान है!!!

कब कहा हमने वीर अब्दुल हामिद भारत माँ का सपूत न था ? फिर तुम कहोगे अफज़ल/कसाब को भी अपना लो ???

२६ जनवरी को सारा धर्मनिरपेक्ष देश तिरंगा फेहराता है पर मुसलमानों का कश्मीर सरकारी तौर से कहता है इस प्रक्रिया से उन्माद फैलेगा लिहाज़ा तिरंगा न फहराया जाए !!! और तुम इस देश के लोगो से कहते हो की कौम निर्दोष है और देशभक्त है जिसे वे मान लेंगे ???

जमातुल दावा ,हिजबुल मुजाहिदीन ,इंडियन मुजाहिदीन, लश्करे तैयबा इनके खिलाफ किसी उलेमा ,मौलवी या ज़मात ने कभी फतवा सुनाया है??? की इनका साथ देने वाला काफिर है कौम का दुश्मन है और अल्लाह उसे दोजक के आग नसीब करवाएगा , ये जेहाद नहीं ज़लालत है और ये अल्लाह के बन्दों का काम नहीं है ??? किसी उलेमा को जानते हो तो हमें भी बताओ ???

रही बात बूते वाले मुद्दे पर, तो आप ने अपनी अगली पोस्ट पर महफूज़ भाई को सफाई दी है उनकी बात का जवाब नहीं कृपया उनकी टिप्पणी में उठाये गए सवालों का जवाब दे !
!
सबको सम्मति दे भगवान् "कहने वाले की असली आवाज में कुछ ५० मिनट से ज्यादा का संकलन मेरे पास है जिसे सुन कर मुसलमानों का तब आज़ादी के वक्त क्या विचारधारा थी समझ जायेंगे, तब भी जैसे थे (इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान लेने के बाद ) आज भी ऐसे ही है !

किशोर जी आप किसी के साथ रहो पर ये साफ़ है हमारे साथ तो नहीं हो फिर किसी के साथ रहो क्या फर्क पड़ता है ???

जय हिंद !!!

Friday, January 15, 2010

जहाँपनाह तुस्सी ग्रेट हो !!! तोहफा क़ुबूल करो !


Jahapana tussi great ho……







Tohfa kubool karo….



हमारे जीने का मकसद चिता तक एक लंबा सुरक्षित सफ़र तय करना भर नहीं है , ये सफ़र है खुशिया बिखेरते और गम बटोरते चलते रहने का ! परिस्थितिया चाहे कोई भी हो दिल से सदा कहो ,

"भैया आल इज्ज़ वेल !!!"

Wednesday, January 13, 2010

"उसने कहा था" पर किसने कहा ???

ये किसकी ऊँगली है,जो ऊँगली कर रहा है ?


"उसने कहा था" के पन्ने पर जो आज पढ़ा साथी मामला कुछ समझ नहीं आ रहा, लेखक के बारे में भी कोई जानकारी नहीं मिल पा रही है ,
कही ये सबोटाज वाला मामला तो नहीं ??? भाई सुरेश चिपलूनकर ने ये बात किस स्थान, काल ,पात्र को देख कर कही इसका सन्दर्भ तो वहा नहीं दिया है !

भाई आप सब मेरी माने तो मै भी ठहरा एक अदना सा ऐरा गैरा चिट्ठाकार पर मुझे लगातार सिर्फ सुरेश भाऊ ही नहीं वरन ( नाम का क्रम प्राप्त टिप्पणियों के आधार पर ) गिरीन्द्र नाथ झा, आलोक ,उड़न तश्तरी, संजय तिवारी ,ajai ,vimal verma ,mayank, Shastri JC Philip ,Neelima, इष्ट देव सांकृत्यायन , काव्या शुक्ला , BAD FAITH pankaj vyas , समयचक्र - महेंद्र मिश्र, GATHAREE , अर्शिया , पं.डी.के.शर्मा"वत्स", अर्कजेश, Dr. Smt. ajit gupta, तरुण गुप्ता , गिरीश बिल्लोरे 'मुकुल, Mired Mirage, mahashakti, निशाचर, महफूज़ अली, Mohammed Umar Kairanvi , Mithilesh dubey,jayram " viplav ", Anil Pusadkar, स्वच्छ संदेश: हिन्दोस्तान की आवाज़, अजय कुमार ,Science Bloggers Association, Rakesh Singh - राकेश सिंह , K. D. Kash दिनेशराय द्विवेदी Dineshrai Dwivedi, अमरेन्द्र नाथ त्रिपाठी बी एस पाबला, Nirmla Kapila, Priyankar, अभय तिवारी, Jyoti Verma Suman, अवधिया चाचा, जी.के. अवधिया, 'अदा' ,पी.सी.गोदियाल , संजय बेंगाणी , Tarkeshwar Giri , सुलभ सतरंगी , Rajey Sha , दिवाकर मणि , uthojago , Smart Indian - स्मार्ट इंडियन, राजीव तनेजा ,PD, ab inconvenienti, पंकज , sahespuriya, Arvind Mishra, RAJ SINH , kuch to badlega , परमजीत बाली , ज़ाकिर अली ‘रजनीश’ , डॉ. मनोज मिश्र , गिरिजेश राव ,कुश , श्याम कोरी 'उदय' आदि जैसे तमाम वरिष्ठ साथियो ने टिप्पणिया दे कर योगदान किया है जिससे मेरा हौसला बढ़ा है और आत्महत्या तो दूर चम्मच दर चम्मच मेरा खून ही बढ़ा है ! अतः मै ब्लोग्वानी, चिट्ठाजगत समेत समस्त साथियो का और संपूर्ण ब्लॉग जगत का अभिनन्दन करता हूँ और धन्यवाद प्रेक्षित करता हूँ !

रही बात दूसरी तो मै हिंदी ब्लॉग जगत का फैन हूँ आप सभी को पढ़ कर प्रभावित होता हूँ ,चमचागिरी वाली बात चमचे जाने !!!


आपका " उम्दा सोच"


Saturday, January 9, 2010

किसके लिए ये फिरदौस-ए ज़मीन अस्तों ??? : उम्दा सोच

प्रदर्शन करते हताश कश्मीरी पंडित युवा


कर बसर को दर-बदर ,
बेपनाह उसे दे कहर,
मिट्टियों का छीन हक़ !

ऐ बेअदब ऐ बेखबर !!
अब होगी तुझे कब्र नज़र !!!

Thursday, January 7, 2010

भाई हमें तो नहीं भा रहा है ब्लॉग वाणी का ये नया रूप!




भाई हमें तो नहीं भा रहा है ब्लॉग वाणी का ये नया रूप! बड़ी असुविधा हो रही है,पहले वाले अवतार में हम तो ज्यादा रमे थे, अब तो मित्रो को पसंद करने के लिए भी घडी घडी लागिन करना पड़ रहा है !सुन रहे है इसमें अब भी बहुत विकास होने वाला है , जो था भाई हम तो उसमे ज्यादा खुश थे ,अब क्या करे ???
भाई आप चुप क्यों है कुछ तो बोलिए !!!

Tuesday, January 5, 2010

इस्लामी मीनारों पर बैन कि तैयारी है !







मामला स्विट्ज़रलैंड का है और स्विस संसद अब अपने राष्ट्र की एकता और अखंडता के लिए संगठित हो उठ खड़ा हुआ है ! उसे खतरा लग रहा है इस्लाम से , इसके चलते भारी पैमाने पर एक प्रस्ताव पर वोटिंग करवाई गई है और जिसे स्विस संसद की सबसे बड़ी पार्टी स्विस पीपल्स पार्टी का प्रबल और पूर्ण समर्थन प्राप्त है ! ये प्रस्ताव है " स्विट्ज़रलैंड में सभी इस्लामिक मीनारों पर बन लगाने के लिए "! प्रस्ताव के समर्थको का प्रबल मत है की यदि देश में इस्लामिक मीनारों का निर्माण करने दिया गया तो शरिया क़ानून को बल मिलेगा जो स्विस लोकतंत्र के लिए खतरा बन जायेगा!

रेफ्रेंडम के लिए अभियान
इस रेफ्रेंडम के लिए स्विस संसद के सबसे बड़े दल पीपल्स पार्टी ने कई माह से अभियान चला रक्खा है इस अभियान के तहत उसने एक लाख से भी ज्यादा वोटरों के दस्तखत वाला पत्र संसद को सौपा था जिसके बाद वोटिंग हुई !

स्विस सरकार क्यों चिंतित है
स्विस सरकार ने इस प्रस्ताव के विरुद्ध अपना मत रखते हुए चिंता व्यक्त की है ! सरकार का मानना है की इस प्रस्ताव के पारित होने से मुसलमानों के साथ भेदभाव होगा, इस्लामिक आतंकवादी गतिविधिया तेज़ होंगी जिससे तनाव फैलेगा ,साथ ही इस्लामी देशो के साथ उसके संबंधो को भी छति होगी !
स्विस सरकार ने लोगो से अपील की है कि वे इस रेफ्रेंडम के खिलाफ वोट दे, लेकिन वोटिंग के शुरूआती नतीजे सरकारी मत के एकदम विरुद्ध है और लग रहा है कि ये प्रस्ताव भारी बहुमत से पास हो जाएगा !

इस्लामिक मीनारों से डर क्यों
रेफ्रेंडम के समर्थको ने कहा है कि मीनारे धार्मिक प्रतीक से कही ज्यादा है, इनके अधिकता से सन्देश जाएगा कि देश में इस्लामी क़ानून मान्य है यही नहीं शरिया विचार को बढ़ावा मिलेगा और भविष्य में इसे लागू किये जाने कि मांग उठेगी! रेफ्रेंडम के समर्थको ने याद दिलाया है कि शरिया स्विट्ज़रलैंड के कानूनों के खिलाफ है !

स्विट्ज़रलैंड में इस्लाम कि स्थित
स्विट्ज़रलैंड में वर्तमान में चार लाख से भी ज्यादा मुसलमान है पर मस्जिदों कि संख्या सिर्फ चार है पाचवी मस्जिद का विचार उठते वक्त ही ये मुद्दा सामने आ गया है ! स्विट्ज़रलैंड में इस्लाम इसाई धर्म के बाद सर्वाधिक प्रचलित है पर अधिक मुखर नहीं है !

स्विस मुस्लिम क्यों डरे है
देखा जाए तो रेफ्रेंडम का रिजल्ट सरकार पर तबतक बाध्य नहीं है जबतक कि वोटिंग अधिकारी प्रान्त बहुमत से इसे स्वीकार नहीं कर ले ,लेकिन यदि वर्तमान वोटिंग के नतीजे प्रस्ताव के हक़ में निकले तो मुसलमान खुल कर नहीं रह सकेंगे और उनपर हमेशा साया मडराता रहेगा कि उनका भी हाल वैसा ही रहेगा जैसा पाकिस्तान में रह रहे गैर मुसलमानों का है !

मानवाधिकार संगठन क्या कहते है
यु एन मानवाधिकार प्रमुख नवी पिल्लै तथा मशहूर मानावाधिकार संस्था एमिनेसटी इंटरनेशनल ने इस प्रस्ताव का विरोध किया है और चेतावनी दी है कि यह प्रस्ताव विश्वव्यप्या धार्मिक आज़ादी के अधिकार के विरुद्ध है !

मुद्दे से उठे अहम् सवाल
मीनार धर्म से हट कर निर्माण शैली के प्रतीक होते है आखिर क्या कारण है के स्विस संसद इससे असुरक्षित महसूस कर रहा है और विश्वव्यापी धार्मिक स्वतंत्रता के विरुद्ध वो लामबद्ध हो रहा है ?
स्विट्ज़र लैंड में ऐसी मान्यता क्यों बन रही है कि शरिया विचारधारा को बढ़ावा मिलने से अराजकता होगी और तनाव फैलेगा ?
स्विस मुस्लिम समाज ने मीनारों से ऐसा क्या कृत्या किया है जिसके चलते ये सन्देश सर्वव्यप्या हुआ जबकि लगभग चार लाख मुसलमानों के बीच सिर्फ चार ही मस्जिद अबतक है ???