सम्भवतः उसे पहले निम्नलिखित का सामना करना पड्ता!
कहाँ जा रहे हों ?
किसके साथ ?
क्यों ?
कैसे जा रहे हो ?
क्या खोजने ?
क्यों सिर्फ़ तुम ही जा रहे हो ?
मै यहाँ अकेले क्या करुँगी ?
क्या मै भी तुमहारे साथ चलूँ ?
कब वापस लौटोगे ?
डिनर घर पर ही करोगे ना ?
मेरे लिये क्या लाओगे ?
लगता है तुम सब सोची समझी चाल के तहत कर रहे हो... ?
झूठ मत बोलो...
तुम ऐसे कार्यक्रम क्यो बनाते हो ?
लगता है आगे के लिये भी तुमने ऐसे ही कार्यक्रम सोच रखे है...
जवाब दो... क्यों ?
मै मायके जाना चाहती हूँ !
मै चाहती हूँ तुम पहले तुम मुझे वहाँ छोड के आओ...
मैं कभी लौटना नहीँ चाहती...
मैं नही लौटुंगी...
तुम मुझे रोक क्यों नही रहे हो ?
मैं नही समझ पा रही हूँ के ये खोज वोज का चक्कर क्या है?
तुम तो हमेशा ऐसा ही करते हो !
पिछली बार भी तुमनें ऐसा ही किया था...
आज कल तुम यही सब करते रहते रहते हो कोई काम का काम क्यॊं नही करते...
मैं अबतक ये नहीं समझ पा रही हूँ कि तुम्हारे लिये खोजने को अब बचा क्या है...?
7 comments:
बस, बस, बस बहुत हो गया....
एकदम सत्य। मर्द तो बेचारा ही है। एकदम से डरा हुआ, निरीह प्राणी। इतना निरीह कि अपने आपको जीवित रखने के लिए शेर होने का दिखावा करता है और बात-बात में पत्नी को पीटकर अपनी मर्दान्गी दिखाने का प्रयास करता है। ऐसी ही बेचारगी बताते रहिए, तभी हमारा स्वाभिमान जागृत होगा।
sab kuchh theek thaak hai
इतने प्रश्न सुनकर वो खोजने तो नहीं जाता , बस खुजाता ही रहता
मुझे भी घुटना खुजाना पड रहा है
रोचक शैली और आलेख के लिये बधाईयां
मजा आ गया। परन्तु क्या सभी स्त्रियाँ इतने प्रश्न करती होंगी? एक सर्वे करवाना चाहिए। और क्या पत्नी कहीं जा रही हो तो पति प्रश्न नहीं करता?
घुघूती बासूती
यह सही है कि पत्नी को पीटकर शेर कहलाने वाला बेचारा नहीं हो सकता परंतु अपने कुकृत्यों और ऊपर से त्रिया चरित्रपयोग वाली पत्नी भी बेचारी नहीं होती।
दोनों ही जिस दिन दिमाग को छोड़ कर दिल से काम लेंगे, जीवन की सार्थकता तभी है!🙏
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