Saturday, January 9, 2010

किसके लिए ये फिरदौस-ए ज़मीन अस्तों ??? : उम्दा सोच

प्रदर्शन करते हताश कश्मीरी पंडित युवा


कर बसर को दर-बदर ,
बेपनाह उसे दे कहर,
मिट्टियों का छीन हक़ !

ऐ बेअदब ऐ बेखबर !!
अब होगी तुझे कब्र नज़र !!!

5 comments:

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

एक अपील है।
आप इस ब्लॉग का लिंक स्थायी रूप में अपने ब्लॉग पर दे दें।
http://kashmiris-in-exile.blogspot.com/

मैंने बहुत दिनों से लगाया हुआ है।

कुश said...

ऐसे मुद्दो पर लोग पता नही क्यो चुप हो जाते है..

अजय कुमार said...

दोगली नीति, कहां है ’मानवाधिकार आयोग "?
इनका दर्द कौन देखेगा

कडुवासच said...

... बेहतरीन अभिव्यक्ति !!

Dr. Zakir Ali Rajnish said...

एक गम्भीर मुद्दा, जो न जाने क्यों परवान नहीं चढ़ पाया।
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अपना ब्लॉग सबसे बढ़िया, बाकी चूल्हे-भाड़ में।
ब्लॉगिंग की ताकत को Science Reporter ने भी स्वीकारा।