Saturday, December 12, 2009

जाकिर भाई सलीम के वकील है या जज ???


भाई जाकिर अली उर्फ़ "रजनीश" आप का लेख पढ़ा तो तमाम सवाल ज़ेहन में उभर आये उम्मीद करता हूँ आप इन सब का जवाब देने में सक्षम होंगे !

1 आप की भूमिका वकील की कह रहे है तो न्यायाधीश की तरह ब्लॉग जगत को फैसला किस हक़ से सुना रहे है ?
2 आप न मौके पर थे, न तो आप की मुझसे कोई बात हुई है और शायद ही महफूज़ भाई से ही, तो आप नतीजा सिर्फ सलीम भाई के कहे पर निकाल रहे है ? कैसे ???
3 महफूज़ भाई को जो लगा वो उन्होंने सारे ब्लॉग जगत के भाइयो से साझा किया, मैंने भी अपनी बात सबके सामने रक्खी बिना किसी परिणाम की चिंता किये हुए पर ऐसा क्यों है की सलीम के लिए वो स्वयं न लिख कर आप को लिखना पड़ रहा है ?
4 आखिर एक ही मुलाक़ात में आप सलीम भाई को बड़ी गहराई से जान गए ??? कैसे ? यहाँ तो जीवनसाथी को समझने में ही सारा जीवन गुज़र जाता है ?
5 मैंने पहले भी कहा है की महफूज़ भाई शुरू से कहते है की सलीम भाई को कोई तो है जो गुमराह करता है ! इस वाकये से शक की सुई क्या आप पर नहीं टिक रही? क्यों सारे ब्लॉग जगत में आप ही और सिर्फ आप ही उनके हमदम है ? ब्लॉग जगत से साझा क्यों नहीं किया जा रहा ???
6 कही आप इस मुद्दे की लोकप्रियता भंजाने की नीयत से तो नहीं लिख रहे है ?
7 आप ने सलीम भाई से क्यों नहीं कहा की इस बात को वे स्वयं अपने ब्लॉग के माध्यम से कहे ? क्यों आप ही आगे आये ?
8 आप ने अपने लेख पर पारदर्शिता दिखाते हुए मुलाक़ात पर मुद्दे की कोई बात क्यों साफ़ साफ़ दो टूक नहीं लिखा ? सतही बात कर ही फैसला ब्लॉग जगत पर थोप दिया ?
9 अगर सलीम भाई आप की घोषणा के अनुरूप नहीं अनुसरण करते है तो क्या आप इसकी गारंटी ले रहे है ? सारे ब्लॉग जगत के साथियो को ये बात ज़रूर बताये!!!
10 आप ने खुद माना है की उस समय महफूज़ भाई ने आप को वक़्त की नजाकत को देखते हुए आवाज़ दिया था फिर आप तब क्यों नहीं आये ?

सारे वाकये से महफूज़ भाई काफी आहात है उन्हें नाहक बहुत कुछ सुनना पड़ा है और इसकी नैतिक ज़िम्मेदारी मै लेता हूँ और महफूज़ भाई से माफ़ी मांगता हूँ !
अगर सलीम भाई का ह्रदयपरिवर्तन हुआ है तो वाकई उनका तहे दिल से स्वागत है !यदि ये हृदयपरिवर्तन आप के सुझाव से है तो आप को तहे दिल से शुभकामना, हम जो न कर सके वो आप ने कर दिखाया पर अफ़सोस आप ने थोड़ी जल्दी की होती!

सलीम भाई हमारे अज़ीज़ भाई है हम खुले दिल से उनके इस स्वक्ष विचार का स्वागत करते है मौका मिलेगा तो अब उनसे गले मिल कर भी आऊंगा !

13 comments:

Randhir Singh Suman said...

nice

राजीव तनेजा said...

कोई भी अच्छा काम... आप के कहने से...मेरे कहने से या फिर ज़ाकिर अली 'रजनीश' जी की कहने से हो...वो तो अच्छा ही कहलाएगा....

अगर सलीम खान जी नई सोच के साथ लिखते हैँ तो उनका स्वागत ही किया जाना चाहिए...इस बात को मुद्दा नहीं बनाया जाना चाहिए कि ज़ाकिर अली जी वकील हैँ यार फिर जज..

PD said...

कोई नहीं आयेगा यहां कमेंट करने.. :) बस हिंदी ब्लौगिंग का चरित्र देखकर मुस्कुरा बैठा.. कि लोग पढ़ रहे हैं, पसंद भी कर रहे हैं, मगर कुछ लिखने से कतरा रहे हैं..

डिस्क्लेमर - मैंने इसे बिना पसंद किये ही कमेंट लिखा है..:)

ghughutibasuti said...

किसी को समझने के लिए एक जीवन भी कम पड़ता है। हम अपने आप को ही ढंग से समझ लें तो बहुत बड़ी बात है।
घुघूती बासूती

गिरिजेश राव, Girijesh Rao said...

हम nice देख कर जाने क्या हो गए थे, चुपचाप चले गए थे। अभी चलित्तर की बात है सो कमेंटिया रहे हैं:
एक नासमझ का बहुत बड़ा मौन

Udan Tashtari said...

आशा है जैसा कहा गया वैसा ही हो तो कितना अच्छा हो.

Pramendra Pratap Singh said...

भाई जी आप चिंता न करो, अगर सुधरे तो ठी नही तो हम भी बताने से गुरेज नही करेगे कि इस्‍लाम का संदेश आतंक मचाओ हूर मिलेगी, अल्‍लाह की शक्ति का अतिक्रमण करता भारतीय संविधान, ऊपर वाला “खुदा” है तो देर से अंधेर भली मेरा मानना है कि समझदारो के लिये शान्ति की राह ही भली है। अगर न माने तो कीबोर्ड तो हमारे हाथ मे भी है।

संजय बेंगाणी said...

हम तो दुगुना देने में विश्वास करते है. प्यार के बदले दुगना प्यार. ईंट के बदले पत्थर. जय हिन्द.

अजय कुमार said...

उम्मीद है सब शुभ शुभ होगा

Sulabh Jaiswal "सुलभ" said...

हम मानवता के रक्षक हैं...

मैं उन साइट्स और ब्लॉग को पढने और उनपर टिप्पणी करने से बचुंगा
जहाँ सस्ती लोकप्रियता के लिए धर्म-जाति संगत/ धर्म-जाति विरोधी,
निरर्थक बहस,व्यक्तिगत आक्षेप, अभद्र अश्लील रोषपूर्ण भाषायुक्त विचार
या वक्तव्य प्रस्तुत किये जाते हैं.

जय हिंद

Pt. D.K. Sharma "Vatsa" said...

सिर्फ उम्मीद ही की जा सकती है.....

संजय बेंगाणी said...

कॉग्रेस में शामिल हुए है, भाईजान. परिवर्तन इसलिए भी जरूरी था. जय हो....

Smart Indian said...

हम भी ढूंढ रहे हैं एक ताज़ा-ताज़ा साफ हुए दिल की माफी, शायद ब्लॉगजगत के पन्नों के बीच कहीं छुपी पडी हो.