प्रिय ब्लॉगर साथियो यदि आप मुद्दे को समझना चाहते है तो आप से निवेदन है कृपया निम्न लिंक पर हो कर आये पर वैसे भी मेरा जवाब पढ़ कर आप को खुद बा खुद माजरा समझ में आ जाएगा !
किशोर जी आप का प्राथमिक नाम हिन्दू मालूम पड़ता है और इस लिए अनुमान करता हूँ की अजवानी भी हिन्दू होंगे ( सिंध के खोजा मुस्लिम भी ऐसा उपनाम लगाते है ) ! ये बात मै किसी और कारण से नहीं वरन इस लिए कह रहा हूँ की यदि आप हिन्दू है तो आप को रामायण काल की नजीर दू तो शायद आप समझेंगे !
रामायण काल में जिन्हें असुर कहा जाता था, वे भी हमारे पुरखो "होमोसेपियं" की ही औलाद थे ,पर उनके सामाजिक व्यवहार में जो दुराचरण था और उनकी मान्यता जो की संहारक और अमानवीय थी जिसके चलते उन्हें असुर कहा जाता था !
असुर कहना याने एक पूरे के पूरे समाज के प्रति धारणा बनाती है अमानवीय और संहारिक प्रवृति की !
ऐसा नहीं था उस समाज के कुछ लोग सदाचारी नहीं थे असुरो में भी बड़े प्रकांड देवभक्त और धर्मी थे पर उस समाज ने दुनिया के सामने अपनी जो छवि बनाई थी उसकी छवि एक भयानक रूप दिखाती है, दोष उस पूरे के पूरे समाज का था क्युकी उसने कर्मो द्वारा अपना ऐसा रूप दुनिया के सामने रक्खा था !
आज इस्लाम के मानने वालो ने भी विश्व में असुरो का अनुकरण कर लिया है ,वे उत्पात की इतनी पराकाष्ठा तक पहुच चुके है की असुर्तुल्या हो चुके है अब उनमे चंद सदाचारियो का आगे आ कर कहना की नहीं हम तो शान्ति अमन के वास्तेदार है और हम दुनिया के तिरस्कार का शिकार हो रहे है!!!
वो अगर कहते है आतंकवाद वाले हमारे भाई नहीं तो ये बताओ उन्हें पनाह क्यों दे रखा है ???
क्यों जेहाद का नाम ले कर दहशत फैलाने वालो के खिलाफ पूरा का पूरा कौम खुल कर सामने नहीं आ रहा ????
क्यों जामिया के पास में जब आतंकियों से मुठभेड़ होती है तो पुलिस बल पर पत्थर फेके जाते है ??
कश्मीरियों ने अगर आतंकियों को पनाह नहीं दी होती और भारत का साथ दिया होता तो क्या आतंकवाद सर उठा सकता ???
आजादी के साठ साल बाद वो कौन नए मुसलमान आ गए और किस नए कुरआन को पढ़ कर आ गए जो उन्हें वंदेमातरम पर ऐतराज़ हो गया साठ साल तक जो गाये थे वो अब मुसलमान नहीं है क्या ???
यदि मुस्लिम कौम सच्चा सेकुलर है तो क्यों आर्टिकिल ३७० के खिलाफ आवाज़ उठा पुनः पंडित भाइयो को कश्मीर में जगह वापस नहीं देती ???
हम कब कहते है की सारे मुसलमान आतंकी है??? हम तो ये याद दिला रहे है की सारे आतंकी मुसलमान है!!!
कब कहा हमने वीर अब्दुल हामिद भारत माँ का सपूत न था ? फिर तुम कहोगे अफज़ल/कसाब को भी अपना लो ???
२६ जनवरी को सारा धर्मनिरपेक्ष देश तिरंगा फेहराता है पर मुसलमानों का कश्मीर सरकारी तौर से कहता है इस प्रक्रिया से उन्माद फैलेगा लिहाज़ा तिरंगा न फहराया जाए !!! और तुम इस देश के लोगो से कहते हो की कौम निर्दोष है और देशभक्त है जिसे वे मान लेंगे ???
जमातुल दावा ,हिजबुल मुजाहिदीन ,इंडियन मुजाहिदीन, लश्करे तैयबा इनके खिलाफ किसी उलेमा ,मौलवी या ज़मात ने कभी फतवा सुनाया है??? की इनका साथ देने वाला काफिर है कौम का दुश्मन है और अल्लाह उसे दोजक के आग नसीब करवाएगा , ये जेहाद नहीं ज़लालत है और ये अल्लाह के बन्दों का काम नहीं है ??? किसी उलेमा को जानते हो तो हमें भी बताओ ???
रही बात बूते वाले मुद्दे पर, तो आप ने अपनी अगली पोस्ट पर महफूज़ भाई को सफाई दी है उनकी बात का जवाब नहीं कृपया उनकी टिप्पणी में उठाये गए सवालों का जवाब दे !
!
सबको सम्मति दे भगवान् "कहने वाले की असली आवाज में कुछ ५० मिनट से ज्यादा का संकलन मेरे पास है जिसे सुन कर मुसलमानों का तब आज़ादी के वक्त क्या विचारधारा थी समझ जायेंगे, तब भी जैसे थे (इस्लाम के नाम पर पाकिस्तान लेने के बाद ) आज भी ऐसे ही है !
किशोर जी आप किसी के साथ रहो पर ये साफ़ है हमारे साथ तो नहीं हो फिर किसी के साथ रहो क्या फर्क पड़ता है ???
जय हिंद !!!
10 comments:
बहुत बदिया प्रस्तुति
सुपर-डुपर हिट… जो सवाल आपने उठाये हैं, वह सेकुलरों के लिये जुलाब की गोली का काम करेंगे…
1) क्यों जामिया के पास में जब आतंकियों से मुठभेड़ होती है तो पुलिस बल पर पत्थर फेके जाते है ??
2) आजादी के साठ साल बाद वो कौन नए मुसलमान आ गए और किस नए कुरआन को पढ़ कर आ गए जो उन्हें वंदेमातरम पर ऐतराज़ हो गया साठ साल तक जो गाये थे वो अब मुसलमान नहीं है क्या ???
ऐसे सवालों के कोई जवाब नहीं है उनके पास, सिर्फ़ पाकिस्तान से बात कर लो, आतंकवादियों का कोई धर्म नहीं होता, जैसी लफ़्फ़ाजियाँ हंकवा लो उनसे…
सुरेश भाई अच्छा है आप ने "बूते वूते" की बात नहीं की नहीं तो भाइयो को बुरा लग जाता!
जवाब सदा सच के पास होता है जो सच्चा होगा वो ही न जवाब दे पायेगा , लफ्फाज ब्लॉग की दुनिया में सिर्फ पोस्ट चढ़ाते है,या झोले बेचते है !
Aapki bebak shaili ne kuchh bhi kahne ke liye nahi chhoda.
जबरदस्त लिखा!
बधाई!!
अरे! भई....क्या हुआ? क्यूँ किशोर जी के पीछे पड़ गए भाई....?
साथी पीछे नहीं पड़ा किसी के बस प्रयास है एहसास दिलाने का की ये ब्लॉग की दुनिया मीडिया की तरह एकतरफा माध्यम नहीं है की जो मन में आया बिना विवेचना बक दिया और प्रतिफल में सुनना नहीं पड़ा !
यहाँ किसी का रुतबा और स्टारडम भौकाल नहीं चलता , न यहाँ चैनल के अन्दर की तरह वर्चस्व वाली गुटबाजी ही चलती है !
जैसा लिखोगे बेबाक जवाब मिलेगा ! इसलिए ज़िम्मेदार व्यक्तित्व हो तो जिम्मेदाराना व्यवहार करो - " तोल मोल फिर बोल "!!!
ए भैया फिर ब्लॉग पर हिन्दू-मुस्लिम दंगा न करवाना यार। बड़ी मुश्किल से बंद हुआ है।
आदरणीय सुरेश जी,
सेकुलरों के लिए क्या इतनी गंदी ज़बान का इस्तेमाल किया जाना ज़रूरी है ?
खै़र ....हटाइए हम तो दोस्त हैं जी आपके, इसलिए कुछ न कहेंगे। बस इतना ही के आपके शानदार लेखन को "जुलाब" जैसी कुमुक की ज़रूरत नहीं।
जय विघ्नेश्वर।
उम्दा सोच !
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