अपने सम्विधान पर बचपन से हम २६ जनवरी को खूब गर्वित इतराते है, उसपे पालन कर जीने मरने की कसमे खाते है! कमाल है सरकारे ही अब सम्विधान की पर्वाह नही करती.....
कारण?.....
खैर..... एक ताजा वाक्या उदाहरण के तौर पर ले,
अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता...
गुजरात मे मोदी साहब ने जसवंत सिंह की पुस्तक को प्रतिबन्धित कर दिया है!आज जब जस्वंत जी अपनी बात कहते है तो अपने ही उनका मुंह बन्द करने पे आमादा है!
यानी......
कहाँ है भई सम्विधान मे उल्लेखित Article 19 अभिव्यक्ति की स्वतत्रंता?
है तो कहाँ ....? और है तो किसके लिये.....?
जसवन्त जी की पुस्तक मैने अभी तक पढी नही है बगैर इसके मै कुछ बाते ठीक ठीक जानता हूँ!
जसवंत जी जो भी कह रहे है ये उनके अपने विचार है ...क्या जसवंत जी को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता नही है? और गुजरात की पढी लिखी जनता को इस प्रकार पुस्तक से वंचित करना क्या गुजराती बुद्दिजीवी वर्ग के अधिकारों का हनन नही है?
भाई पढने दीजिये सही गलत की विवेचना तो वे पढ्ने के बाद ही करेंगे!
क्या इस तरह मोदी जी जसवंत जी का मुह बन्द करने के साथ गुजरातियों के कान भी बन्द नही कर रहे है?
मोदी जी जिस राम राज को लाने की बात करते है उसमे अब मुहँ बन्द किया जायेगा...? ऐसी कौन सी डेमोक्रेसी भाई? और कहाँ पाई जाती है...?
अब तक खुद के लिये मोदी जी कहते थे मै तो बोलुंगा जिसे नही सुनना वो अपना कान बन्द कर ले...
तो जस्वनंत जी का मुहँ क्योँ बन्द करवा रहे है?
आज जब गुजरात मे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर प्रष्नवाचक चिन्ह लग गया है,तो कल वहाँ लोकतंत्र पर भी सीधा प्रष्नवाचक चिन्ह लग सकता है!
क्या आप को नही लगता इस तरह मोदी जी सम्विधान मे उल्लेखित Article 19 अभिव्यक्ति की स्वतत्रंता का हनन कर रहे है?
3 comments:
भाई आपकी बात तो दुरुस्त है,जिसको भी एतराज़ होगा वो अपनी बात दर्ज़ करेगा,पर अपने यहाँ लोकतंत्र की फिर से परिभाषा तय करनी पड़ेगी?यहां अपने अपने का लोकतंत्र है भाई देखते जाइये और क्या क्या गुल खिलाते है भाई लोग?
अच्छा है सौरभ. जारी रखो. बधाई.
विमल जी ,अखिलेश जी आप का आभारी हूँ हौसलाअफ़्ज़ाइ का शुक्रिया!
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